तबलीग जमात क्या है 200 से ज्यादा देशों में कैसे करती हैं काम बदली करोड़ों ज़िंदगी
तबलीग जमात जमात क्या है कैसे करते हैं काम ??
कैसे करोड़ों लोगों की जिंदगियां तब्दील हुई
तबलीगी जमात क्या है ??
🕋 अल्लाह के रास्ते में तब्लीग जमात अल्लाह इनकी हिफ़ाजत फरमाये गांव गांव गली गली घूम घूम कर दिन की दावत देते हैं अल्लाह हमें इस दावत की मेहनत करने की तौफ़ीक़ दे 🕋
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तबलीग़ी जमात कोई नई जमात अलग गिरोह नही है बल्कि ये एक काम है
दावत वाला काम जो उम्मत ए मोहम्मदीया को अपने रसूल मुहम्मद ﷺ से मिला है आप के बाद कोई नबी बन कर इस दुनियां में नही आएंगे
इसलिए कयामत तक आने वाले इंसानों की जिम्मेदारी इस उम्म्त को दी गई है और दावत वाला काम उम्मत पर फर्ज़ किया गया है
तबलीग बोलते हैं हक़ बात को दूसरे तक पहुंचाना अल्लाह की बात उसके बंदों तक पहुंचाना
ज़माने की तब्दीली और फितनो के दौर ने जब इंसानियत को घेरा और दुनिया से खिलाफत खतम हुई ताकत गई और धीरे धीरे खास तौर पर हिंद के मुसलमान मुर्तद होने लगे और दीन से फिरने लगे बहुत से मेवात और पंजाब के इलाकों में मुस्लिम मूर्ति पूजा करने लगे थे और नाम भी हिंदू सिख वाले रखें हुए थे
उस दौर में हज़रत मौलाना इलियास ने उम्मत की फिक्र हुई तड़प उठी और मेवात से दावत के काम का निज़ाम बनाया और मेहनत शुरू की
बात 1926-27 के दौरान की है.
मौलाना मुहम्मद इलियास ने इस काम की बुनियाद रखी थी. परंपराओं के मुताबिक़, मौलाना मुहम्मद इलियास ने अपने काम की शुरुआत दिल्ली से सटे मेवात में लोगों को मज़हबी शिक्षा देने के ज़रिए की. बाद में यह सिलसिला आगे बढ़ता गया.
तबलीग़ी जमात की पहला इस्तेमा भारत में 1941 में हुआ था. इसमें 25,000 लोग शामिल हुए थे. 1940 के दशक तक जमात का कामकाज भारत के कुछ इलाकों तक ही सीमित था, लेकिन बाद में इसकी शाखाएं पाकिस्तान और बांग्लादेश तक फैल गईं. जमात का काम तेज़ी से फैलना और यह आंदोलन जमात का काम पूरी दुनिया में फैल गया.
तबलीग़ी जमात का सबसे बड़ा जलसा हर साल बांग्लादेश में होता है. जबकि पाकिस्तान में भी एक सालाना इस्तेमा रायविंड में होता है. इसमें दुनियाभर के लाखों मुसलमान शामिल होते हैं.
मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे ज़फ़र सरेशवाला तबलीग़ी जमात से सालों से जुड़े हैं. उनके मुताबिक़ ये विश्व की सबसे बड़ी मुसलमानों की संस्था है. इसके सेंटर 140 देशों में हैं.
भारत में सभी बड़े शहरों में इसका मरकज़ है यानी केंद्र है. इन मरकज़ों में साल भर इज़्तेमा (धार्मिक शिक्षा के लिए लोगों का इकट्ठा होना) चलते रहते हैं. मतलब लोग आते जाते रहते हैं.
तबलीग़ी जमात का अगर शाब्दिक अर्थ निकालें तो इसका अर्थ होता है, आस्था और विश्वास को लोगों के बीच फैलाने वाला समूह. इन लोगों का मक़सद आम मुसलमानों तक पहुंचना और उनके विश्वास-आस्था को पुनर्जिवित करना है. ख़ासकर आयोजनों, पोशाक और व्यक्तिगत व्यवहार के मामले में.
कैसे करते है तबलीग का काम??
जमात का काम करने वालो के लिए कोई तनखाह या कोई पैसा नहीं मिलता बल्कि मुस्लिम सब अपनी जान, माल और अपना वक्त लेकर निकलते हैं
3 दिन की जमात हर महीने जाती है जो अपने शहर या आस पास गांव में जाती है
और 40 दिन और 4 महीने की जमात हर साल शहर के मरकज से जाती है ये जमात अपने देश में ही काम करती है मरकज से तय करके इनको दूसरे शहरों गांवो में भेज देते हैं
जमात में 10 से 15 तक लोग होते हैं जो कम ज्यादा भी हो जाते हैं
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